देखते ही देखते ,मंजर पुराना हो गया है।
बंदिशों का इक तरीका , आशियाना हो गया है।
मसरूफ़ियत इतनी बढ़ी है, जिन्दगी के दरम्यां,
रूबरू खुद से हुए, मुझको जमाना हो गया है।
कोई गम छलक न जाये, मेरी सूरत मेरी जुबां से,
कम दोस्तों से इसलिए, मिलना मिलाना हो गया है।
हम उम्र भर का ये सफर, बेहोशियों में कर गये,
अब जिंदगी का फलस़फा ,केवल बहाना हो गया है।
गम और मेरी ज़िन्दगी, कुछ रूबरू है इस तरह,
गम बिना मुश्किल बहुत, गज़लें बनाना हो गया है।
वक़्त की हर पर्त में , मैं दर्द दफ़नाता रहा,
वो गमज़दा एहसास ही, अब सायराना हो गया है।
ज़िंदगी की दौड़ में , जब साँस लेता हूँ कभी,
फिर से माज़ी तीर का, 'मोहन' निशाना हो गया है
बंदिशों का इक तरीका , आशियाना हो गया है।
मसरूफ़ियत इतनी बढ़ी है, जिन्दगी के दरम्यां,
रूबरू खुद से हुए, मुझको जमाना हो गया है।
कोई गम छलक न जाये, मेरी सूरत मेरी जुबां से,
कम दोस्तों से इसलिए, मिलना मिलाना हो गया है।
हम उम्र भर का ये सफर, बेहोशियों में कर गये,
अब जिंदगी का फलस़फा ,केवल बहाना हो गया है।
गम और मेरी ज़िन्दगी, कुछ रूबरू है इस तरह,
गम बिना मुश्किल बहुत, गज़लें बनाना हो गया है।
वक़्त की हर पर्त में , मैं दर्द दफ़नाता रहा,
वो गमज़दा एहसास ही, अब सायराना हो गया है।
ज़िंदगी की दौड़ में , जब साँस लेता हूँ कभी,
फिर से माज़ी तीर का, 'मोहन' निशाना हो गया है
3 टिप्पणियां:
Mujhey kafi prasannata hui bhai apke is behtareen kadam k liye
हौसला आफजाई के लिए शुक्रिया जनाब।
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