अज्ञान अंधेरी रातों सा, इल्मी कंदील जला डालो।
दूर अशिक्षा करने को ,अब ईंट से ईंट बजा डालो।
कथनी से करनी तक पहुँचो,भारत माँ के आँसू पौंछो,
कंधे से कंधा मिला रहे ,और दीप से दीप जला डालो।
भारत आगे बढ़ पायेगा, पहले तुमको बढना होगा,
जो किले बनाए भ्रष्टों ने, तुम उनकी नीव हिला डालो।
बिषबृक्ष पनपता भारत में, पश्चिम के बुरे रिवाजों का,
शिक्षा से जड़ें उखाड़ो तुम, और नाम-ओ-निशां मिटा डालो।
भारत विकास रथ की खातिर, शिक्षको सारथी बन जाओ,
ये शिशु भविष्य के भारत हैं, तुम इनको पार्थ बना डालो।
गंगा के पावन पानी की, तुम्हें कसम है आज जवानी की,
या तो तस्वीर बदल दो तुम, या अपना शीश कटा डालो।
....ये रचना आपको कैसी लगी? कृपया कमेंट करके अवश्य बतायें। आपकी प्रतिक्रिया हमारा मार्गदर्शन करेगी।
दूर अशिक्षा करने को ,अब ईंट से ईंट बजा डालो।
कथनी से करनी तक पहुँचो,भारत माँ के आँसू पौंछो,
कंधे से कंधा मिला रहे ,और दीप से दीप जला डालो।
भारत आगे बढ़ पायेगा, पहले तुमको बढना होगा,
जो किले बनाए भ्रष्टों ने, तुम उनकी नीव हिला डालो।
बिषबृक्ष पनपता भारत में, पश्चिम के बुरे रिवाजों का,
शिक्षा से जड़ें उखाड़ो तुम, और नाम-ओ-निशां मिटा डालो।
भारत विकास रथ की खातिर, शिक्षको सारथी बन जाओ,
ये शिशु भविष्य के भारत हैं, तुम इनको पार्थ बना डालो।
गंगा के पावन पानी की, तुम्हें कसम है आज जवानी की,
या तो तस्वीर बदल दो तुम, या अपना शीश कटा डालो।
....ये रचना आपको कैसी लगी? कृपया कमेंट करके अवश्य बतायें। आपकी प्रतिक्रिया हमारा मार्गदर्शन करेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें