गुरुवार, 28 जनवरी 2016

शायद मुझसे कुछ कहतीं है।

मुझे लगता है मैं पागल हूँ
शायद विक्षिप्त ,
या घायल हूँ ।
क्योंकि मैं बातें करता हूँ,
चट्टानों से,
पतझड़ से,
निर्जन से,
रेगिस्तानों से ।
मुझे लगता है,
कि विशाल पीपल की डालियां,
उसकी भूरी शाखाएं,
और उन पर बनी धारियां,
शायद मुझसे कुछ कहतीं है.........


9 टिप्‍पणियां:

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  2. वाह..
    बहुत सुन्दर है कलम आपकी
    लिखती अच्छी है
    एक दिन
    के लिए
    मुझे देंगे क्या
    सादर

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    1. यसोदा जी हौसला आफजाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

      हां यसोदा जी मुझे खुशी होगी।

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  3. अति सुंदर मनीष भाई
    मनीष कलम का सिपाही

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  4. अति सुंदर मनीष भाई
    मनीष कलम का सिपाही

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आपकी

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आपकी

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    1. धन्यवाद मालती जी अभिव्यक्ति मेरी पढ़ने के लिये।

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    2. धन्यवाद मालती जी अभिव्यक्ति मेरी पढ़ने के लिये।

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