शायद मुझसे कुछ कहतीं है।
मुझे लगता है मैं पागल हूँ
शायद विक्षिप्त ,
या घायल हूँ ।
क्योंकि मैं बातें करता हूँ,
चट्टानों से,
पतझड़ से,
निर्जन से,
रेगिस्तानों से ।
मुझे लगता है,
कि विशाल पीपल की डालियां,
उसकी भूरी शाखाएं,
और उन पर बनी धारियां,
शायद मुझसे कुछ कहतीं है.........
9 टिप्पणियां:
वाह..
बहुत सुन्दर है कलम आपकी
लिखती अच्छी है
एक दिन
के लिए
मुझे देंगे क्या
सादर
अति सुंदर मनीष भाई
मनीष कलम का सिपाही
अति सुंदर मनीष भाई
मनीष कलम का सिपाही
यसोदा जी हौसला आफजाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
हां यसोदा जी मुझे खुशी होगी।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आपकी
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आपकी
धन्यवाद मालती जी अभिव्यक्ति मेरी पढ़ने के लिये।
धन्यवाद मालती जी अभिव्यक्ति मेरी पढ़ने के लिये।
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